नई दिल्ली. भारतीय सुरक्षा बलों पर शुक्रवार देर रात साइबर हमला हुआ। इसके बाद, सेना के तीनों अंगों ने आपातकालीन चेतावनी जारी की है। सूत्रों के मुताबिक, चेतावनी में सुरक्षाबलों से 'नोटिस' शीर्षक से अटैचमेंच के साथ भेजे गए किसी ई-मेल को नहीं खोलने के लिए कहा गया है।
आपातकालीन चेतावनी में कहा गया- सैन्यकर्मियों को एक फिशिंग ई-मेल भेजे जाने का पता चला है। इसका शीर्षक Notice है और इसके साथ HNQ Notice File.xls नाम का अटैचमेंट भेजा गया है। अधिकतर सैन्यकर्मियों को यह मेल prvinayak.598k@gov.in आईडी से भेजा गया है। सुरक्षाकर्मियों को इस तरह के ई-मेल से सावधान रहने को कहा गया है। चेतावनी में लिखा गया, "ई-मेल मिलने पर इसे इनबॉक्स से एक्सेस न करें। इसे तुरंत हटाएं या रिपोर्ट करें।"
सुरक्षाबलों के लिए साइबर एजेंसी बनाई जाएगी
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों पर साइबर हमले पाकिस्तान या चीन से हो रहे हैं। अधिकारी ने कहा, "हमारी साइबर इकाइयां हाई अलर्ट पर हैं, क्योंकि हाल के दिनों में इस तरह के हमले बढ़े हैं।" सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए एक विशिष्ट रक्षा साइबर एजेंसी बनाने की योजना भी बनाई है, जिसका फोकस केवल सैन्यबलों से संबंधित मुद्दों पर रहेगा। इसका मुख्य काम चीन या पाकिस्तान जैसे देशों के विदेशी हैकरों के बढ़ते खतरे का मुकाबला करना होगा।
पाकिस्तान सेना की टोह लेना चाहता है
पाकिस्तानी साइबर अपराधियों का टारगेट यह पता लगाना होता है कि सैन्यबलों की आवाजाही किस तरह हो रही है, अलग-अलग यूनिटों की तैनाती कहां है और सेना की रणनीति क्या है। यहां तक कि वे पूर्व सैनिकों के बारे में जानकारी जुटाना भी चाहते हैं। सूत्रों ने बताया कि कई बार पाकिस्तानी हैकरों ने किसी तीसरे देश से भारतीय सैन्य कर्मियों को निशाना बनाने की कोशिश की। खुद को सेना के किसी दूसरे विंग का अधिकारी बताकर, इन हैकरों ने सेना के संचार नेटवर्क में घुसपैठ तक कर ली थी।
2016 में स्कॉर्पियन पनडुब्बी डाटा हैक हुआ
2016 में साइबर बदमाशों ने भारत की स्कॉर्पियन पनडुब्बी बेड़े से संबंधित हजारों फाइलें चुरा लीं। हैकरों के पास करीब 22,400 पन्नों की जानकारी पहुंच गई थी। इस हमले में 6 पनडुब्बियों की युद्ध क्षमता से संबंधित गोपनीय डाटा चुरा लिया गया था। इन सभी पनडुब्बियों को फ्रांस की डीसीएनएस ने भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन किया था। हैकरों ने वहीं से डाटा चुराया था। हालांकि बाद में नौसेना ने कहा था कि इसमें पनडुब्बी के संचालन से संबंधित डाटा नहीं था।
स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों से संबंधित इस साइबर हमले का पता ऑस्ट्रेलिया ने लगाया था। फ्रांसीसी निर्माता ने ऑस्ट्रेलिया से अगली पीढ़ी की पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए 2.71 लाख करोड़ रुपए का ठेका हासिल किया था। उसी दौरान कंपनी के डाटा में सेंध लगाने का खुलासा हुआ।