राजगढ़

नहीं दीया सही उपचार मासूम का बड़ा मर्ज , डाॅ दांगी की लापरवाही द्वारा दिए गए उपचार से मासूम हुआ था बेहाल , मासुम, मरीज के पिता स्वयं आमीन ने कहा कि भर्ती करते समय पीलिया 8.21 और 6 दिन भरती रहकर उपचार लेने के बाद बढ़ता रहा पीलीया हुआ 17.44 ,, मासूम के हालात

राजगढ़

 

*नहीं दीया सही उपचार मासूम का बड़ा मर्ज , डाॅ दांगी की लापरवाही द्वारा दिए गए उपचार से मासूम हुआ था बेहाल।*

 


*मरीज के पिता स्वयं आमीन ने कहा कि भर्ती करते समय पीलिया 8.21 और 6 दिन भरती रहकर उपचार लेने के बाद बढ़ता रहा पीलीया हुआ 17.44 ,,* ।

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*लिवर डल होने की धमकी देकर प्राइवेट नर्सिंग होम में किया जा रहा था भोपाल शिफ्ट।*

 

 

राजगढ़ ब्यावरा अमीन खान ,

 

 


ब्यावरा - सिविल अस्पताल ब्यावरा में उपचार के नाम पर मासूमों के जीवन से खिलबाड़ करते डाॅॅक्टर मिलना आम बात हो चली है प्रशासनिक सिस्टम का फेलुअर इस तरह है कि न कोई सुनने वाला न ही इसके सुधार की गुंजाइश ही नजर दिखाई दे रही है। ताजा मामला शासकीय अस्पताल ब्यावरा के डाॅ लखन दांगी से संबंधित है जिसमें एक 11 साल के मासूम को पीलिया के लिए भर्ती किया तो उस समय की गई जांच में पीलिया 8.21 प्रतिशत था इसके बाद 6 दिन तक डाॅ दांगी का उपचार चलने के बाद पीलिया कम होने के बजाय बढकर 17.44 प्रतिशत हो गया। जिसमें मासूम दिलशान की तबीयम बिगडती चली गई और उसकी आखों में पीलापन बहुत ज्यादा बढ गया और त्वचा भी पीलापन झलकने लगी तब  पिता अमीन खान ने दूसरे डाॅक्टर से सलाह ली तो पता चला की दिए जारहे उपचार में पीलिया का उपचार था ही नहीं। ऐसे हालातों में जीने को मजबूर हैं शहरवासी। मासूम की हालात बिगडने पर प्रायवेट हाॅस्पिटल में भेजना कहां तक सही है इसके बाद पिता ने जब हंगामा किया तो फिर डाॅ बीएम गुप्ता ने बच्चे का उपचार शुरू किया एवं पूर्व सेचल रहा डाॅ लखन दांगी का उपचार बंद करवाया तब कहीं जाकर मासूम की हालात में सुधार आना शुरू हुआ।

प्राइवेट कराई सभी जाचें,,

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- *मासूम के हालात बिगडते देख भोपाल के प्रायवेट हाॅस्पिटल जैन् श्री जाने की दी सलाह*।

 

 

जब डाॅ लखन दांगी ने मासूम की हालात बिगडती देखी तो उन्होने पिता आमीन खान को प्रायवेट नर्सिंग होम भोपाल में ले जाकर इलाज करवाने को कहा जिसके लिए उन्होने बकायदा डाॅक्टर के नंबर हॉस्पिटल का नाम एड्रेस  भी पिता को सरकारी अस्पताल के पर्चे पर लिखकर दिए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी डाॅक्टर किस तरह प्रायवेट हाॅस्पिटल के लिए काम करते है। क्या विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन पर लगाम लगा पाएगें या फिर इसी तरह का ढर्रा चलता रहेगा।


मरीज भले ही सिविल अस्पताल ब्यावरा में भर्ती था परंतु डाॅ लखन दांगी की कमाई की सुई लगातार चालू थी जिसमें वह अंदर भर्ती मासूम मरीज दिलशान की जाचें भी बाहर की फिक्स पैथालाॅजी से करवा कर मंगा रहे थे और दवाइयां भी बाहर की फिक्स मेडिकल स्टोर से जा रही थी , जिसमें 6 दिन में लगभग 7 हजार की जांचे करवाई गई और बच्चें की तबीयत में सुधार भी नहीं आया। एक पिता ने गुहार लगाई है कि इस तरह के डाॅक्टर से अपने बच्चों को बचाएं।  बता दें कि शीघ्र ही इसकी शिकायत जिला कलेक्टर , एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं आयुक्त व स्वास्थ्य मंत्री वा EOW को भी इसकी बाय राइटिंग शिकायत की जाएगी। देखना यह होगा कि अब जिला स्वास्थ्य अधिकारी इस पर क्या संज्ञान लेते हैं।

 

 

 

*इनका कहना है-*

 

 

 

*आप मुझे इसकी पूरी जानकारी लिखकर भेजिए मैं दिखवा लेती हूं,, डाॅ शोभा पटेल ,सी एम एच ओ राजगढ़।*